Indian Voters |
A few months ago, when I switched on my TV, what I saw on air made me write my feelings for my country in the best way I could. It was one such time when you feel helpless, you wish to do so many things, you wish to change so many things, almost everything that is going wrong. And all I could do was to pen down my thoughts. This style of writing is inspired by my Nana ji's style of writing (I had posted one of his poem earlier in my blog). I hope you like this one as well
अंधेर नगरी की परिभाषा है,
युवा भारत की मरी हुई हर आशा है,
Governance का बना हुआ तमाशा है,
जो भी बना है नेता,
उसने दिया कितनो को झांसा है,
पता नहीं इनका पेट है या टंकी है,
ये democracy नहीं नौटंकी है|
खेल हो या संचार, चारा हो या हो ताबूत,
खूब मज़े से खाया है, पर मिट न सकी इनकी भूख,
Bureaucracy ने तो लगा रखी, इस देश की भी लंका है,
ये बीमारी जैसे देश के Metabolism की लघु शंका है,
आखिर Mc Donald’s का happy meal भी तो पूरा junky है,
ये democracy नहीं नौटंकी है|
राजा हो या हो सुरेश, सब ने बदले थे अपने भेस,
हो रहे नित नए खुलासे, ये उसको, वो उसको फांसे,
भ्रष्टाचार को दूर भगाने, काले धन को वापस लाने,
कर रहे योगी भी अनशन हैं,
पर उस काले मन का क्या,
जिस की वजह से आज यह क्षण है,
इस देश के नेता आखिर क्यूँकर इतने सनकी हैं,
ये democracy नहीं नौटंकी है|
सियाचीन में खर्चे अरबों,
और Defense budget में खरबों,
Nuclear power बन रहे हैं हम,
वक़्त आने पे दिखला देंगे किस में कितना है दम,
Food security हो न हो,
Border security बहुत ज़रूरी है,
क्या करें आखिरकार,हमारा पडोसी भी तो कितना आतंकी है,
ये democaracy नहीं नौटंकी है|
-- Zishan
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